Saturday, December 1, 2018

बुकमार्क

तुम मेरे क़िताब की ,
ना शुरुआत हो न तो अंतिम पन्ना,
तुम बुकमार्क हो !

जिसे अंत या आरंभ से
कोई फ़र्क नहीं पड़ता ,
जो सिर्फ ये सूचित करने के काम आता है,
 कि कहाँ तक आये है
और गंतव्य तक कितना वक्त है अभी !
.
.
.
बस तुम्हारे और क़िताब के साथ
जो वो डोर जुड़ी है
वह काट मत देना ,
वह मेरा आत्मबल है !

#vinayaki

प्रलयगीत

 दिवस मोगरा होतो  रात्र सायली होते ,  तुझिया अस्तित्वाने  श्लोक-शायरी होते।  मी धुनी पेटवत असता तू यज्ञाचे मंतर गाते , मी अलख निरंजन म्हणतो ...